कौन है आनंद मोहन? कैसे हुई इनकी गिरफ्तारी? आखिर क्यों सोशल मीडिया पर चल रहा इनके रिहाई का अभियान?
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा शुरू से ही चलता रहा है जो कि बिहार की राजनीति में आम बात हो गई है और बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का आना जाना लगा रहता है उन्हीं में से एक नाम आता है शिवहर से पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन सिंह जी का:-
आइए जानते हैं आनंद मोहन सिंह के बचपन की कुछ बातें
28 जनवरी 1954 को कोशी की धरती पर पैदा हुए आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पंचगछिया गांव से आते हैं उनके दादा जी राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे आनंद मोहन सिंह शुरू से ही एक बदमाश बालक रहे थे और यही कारण है कि मात्र 17 साल की उम्र में ही राजनीतिक गलियारों में पहुंच चुके थे।
आनंद मोहन सिंह जी का परिवारिक परिचय:-
नाम:- आनंद मोहन सिंह
पार्टनर:- लवली आनंद
बच्चे:- चेतन आनंद, सुरभि आनंद
आइए जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में कैसे थे वह एक बाहुबली नेता?
आनंद मोहन सिंह जी का राजनीतिक से वास्तविक परिचय जयप्रकाश नारायण के संपूर्णण क्रांति आंदोलन के दौरान हुआ और उनके राजनीतिक गुरु पूर्व स्वतंत्रता सेनानी और कर्मठ समाजसेवी नेता परमेश्वर कुवर थे और हां आप सभी लोगों को पता है बिहार की राजनीति जातिगत समीकरण पर चलती है आ रही है और उनका फायदा उठाया आनंद मोहन जी ने और राजपूत समुदाय के नेता बन गए उनकी बाहुबली आप इस बात से समझ सकते हैं जब 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब भाषण दे रहे थे तो उन्हें आनंद मोहन ने काले झंडे दिखाए थे ।
जब 1990 में वे महिषी विधानसभा से जनता दल के विधायक बने तब मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह कुख्यात संप्रदायिक गिरोह के अगुवाई कर रहे थे जिससे उनकी 'प्राइवेट आर्मी' बताया जा रहा था ।
मंडल कमीशन ने साल 1990 में सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग को 27 फ़ीसदी आरक्षण की सिफारिश की जिसे जनता दल ने अपना समर्थन दिया पर आरक्षण विरोधी आनंद मोहन को यह बात हजम नहीं हुई और उन्होंने जनता दल से अपना रास्ता अलग कर लिया, तब आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन किया फिर समता पार्टी से हाथ मिलाने के बाद उनकी पत्नी लवली आनंद ने वैशाली से लोकसभा 1994 उप चुनाव जीता।
आनंद मोहन सिंह जी की क्यों हुई थी गिरफ्तारी और क्यों मिली थी मौत की सजा?
साल 1994 में ही उन्हीं की पार्टी के बाहुबली छोटन शुक्ला जो कि केसरिया विधानसभा से बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार थे उनका 3 दिसंबर 1994 की रात जब मधुबन से चकिया इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल से मिलकर घर की तरफ जा रहे थे तब कुछ नकली पुलिस वालों के द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी फिर 4 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर के सड़कों पर भारी भीड़ में उनकी शव यात्रा की जुलूस निकाली जा रही थी और आनंद मोहन के करीबी रहे छोटन शुक्ला तो वह भी शव यात्रा में पहुंच चुके थे और उनकी अगुवाई भी कर रहे थे इसी बीच गोपालगंज के डीएम जी कृष्णईया की लाल बत्ती गाड़ी उधर से गुजर रही थी पर भीड़ ने आक्रोश में आकर डीएम जी कृष्णाईया की पीट-पीटकर और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी और आरोप लगा आनंद मोहन सिंह पर जो शव यात्रा की अगुवाई कर रहे थे ।
इस मामले में उनकी पत्नी लवली आनंद समय 6 लोगों को आरोपी बनाया गया साल 2007 में पटना हाई कोर्ट ने आनंद मोहन को दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई , आजाद भारत का यह पहला मामला था जब किसी राजनेता को मौत की सजा दी गई थी हालांकि बहुत जल्द साल 2008 में इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया हालांकि जी कृष्णईया हत्याकांड के बाद आनंद मोहन 1996 में शिवहर लोकसभा में जीत हासिल कर वहां से बने थे सांसद।
आखिर सोशल मीडिया पर क्यों चल रहा उनकी रिहाई का अभियान?
अभी सोशल मीडिया पर उनकी रिहाई का अभियान चल रहा है और लोग भारी मात्रा में उनका समर्थन कर रहे हैं क्या डीएम की मौत का दोषी है आनंद मोहन सिंह या वह नकली पुलिस वाले दोषी है जिन्होंने छोटन शुक्ला की हत्या कर दी थी? या दोषी है वह पूरी भीर जो जी कृष्णाईया की हत्या की थी? जिसकी अगुवाई आनंद मोहन सिंह इज कर रहे थे। इन्हीं सब बातों पर नजर रखते हुए उनकी रिहाई की मांग की आवाज तेज होने लगी है।
Nice blog bro
ReplyDeleteExtremely supportive 🤠
ReplyDeleteTq
DeleteFull Support
ReplyDeleteMai uske sath hu jo ye website chala rha hai
ReplyDeleteOr aanand mohan k sath v
Full support
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteNice article
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